Thursday 9 September 2010

जब मैंने पहली बार बिग बी को देखा.......


पत्रकारिता ने हमेशा से ही मुझे अपनी ओर आकर्षित किया और मैंने एक पत्रकार बनने का सपना अपनी आँखों में सजायाबस अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने एम.जे.पी रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली में पत्रकारिता के कोर्स में दाखिला ले लिया। बात वर्ष २००१ की है। पत्रकार बनने का जुनून सर पे इस कदर सवार था कि चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए बस पत्रकार बनना है।पत्रकारिता की कक्षाएं शुरू होने के बाद हमें असाइनमेंट मिलने लगे थे और हम पूरे जोश व उत्साह के साथ इस काम को पूरा करने में जुट जाते थे। शुरुवात में तो हमें छोटे-छोटे असाइनमेंट दिए गए जिन्हें हमने समय से पूरा करके अपने एच.ओ.डी की नजरों में एक खास जगह बना ली थी ,अपनी इसी छवि के कारण हमें एक दिन वो असाइनमेंट मिला जिसका इंतजार हर उस फ्रेशर को होता है जो अपने कैरिएर की शुरुवात करने जा रहा हो-----------हमें काम मिला रामपुर में होने वाली श्री अमिताभ बच्चन की रैली को कवर करने का और इसके लिए तीन लोगों का ग्रुप बना दिया गया। मैं,मेरा सहपाठी मुकुल सक्सेना और दीक्षा। हम तीनो को ही रामपुर रवाना होना था लेकिन ऐन वक़्त पर दीक्षा का जाना कैंसिल हो गया,एक बार को तो ऐसा लगा कि शायद हम भी नहीं जा पाएंगे लेकिन हमने तो ठान लिया था कि जाना तो जरूर है। रिपोर्टिंग के लिए एक बार को न सही पर बिग बी को तो हर हाल में देखना ही था। फिर ऐसा मौका हमें दोबारा कहाँ मिलता??????????ये दिसम्बर की बात है ,,,सर्दिओं के दिन थे इसलिए निकलते-निकलते ही हमें देर हो गई। बरेली से रामपुर की दूरी ६५ किमी है।
जब तक हम वहां पहुंचे रज़ा कॉलेज रैली का मैदान खचा-खच भर चुका था पैर तो क्या तिल रखने भर को जगह नहीं थी। जैसे-तैसे भीड़ को चीरते हुए हम प्रेस गैलरी तक पहुंचे ,यहाँ तक पहुँचने में बैरीकेटिंग को पार करते समय मेरे घुटने में भयंकर चोट लग गई थी,उसमे से खून रिस रहा था।लेकिन बिग बी को देखने व सुनने के लिए ये कीमत बहुत कम थी। प्रेस गैलरी में मीडिया कर्मिओं का जमावड़ा लगा था। भीड़ अमिताभ बच्चन जिंदाबाद के नारे लगा रही थी.......श्री बच्चन अपने निर्धारित समय से करीब २ घंटे देरी से पहुंचे।मंच के ठीक पीछे ही हैलीपैड बनाया गया था....जिस पर देखते ही देखते धूल उडाता हुआ हैलीकॉप्टर उतरा और फिर उसमे से नीला सूट पहने उतरे श्री अमिताभ बच्चन....... जिन्हें देखते ही बस ऑंखें ठहर सी गई और सारी तकलीफें भी ख़तम हो गई......बिग बी हमसे कोई दस कदम की दूरी पर थे.....कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बिग को देखने या उनसे कोई सवाल करने का मौका भी मिलेगा....बिग बी आए मंच पर और उनके साथ थी जया बच्चन ,अमर सिंह और मुलायम सिंह और आज़म खान । जब बिग बी ने बोंला शुरू किया तो बस तालियों की गडगडाहट ही सुनाई दी.....क्या बोलतें हैं बिग बी......धारा प्रवाह हिंदी......भाषा पर ऐसा नियंत्रण ऐसा कि अच्छे-अच्छों की बोलती बंद हो जाए.....करीब आधा घंटा मंच पर बिताने के बाद जब उन्होंने वापस हैलीपैड की ओर रुख किया तो रास्तें में मीडिया वालों ने उन्हें रोक लिया जो कि बहुत स्वाभाविक था। हम सब इतनी देर से इंतजार जो कर रहे थे.....बिग बी के रुकते ही मीडिया ने उन पर सवालों की बौछार कर दी...इन्ही सवालों के बीच एक सवाल मैंने भी कर ही डाला जिसके लिए मैंने खुद को तैयार नहीं किया बस सहसा ही मुंह से निकल गया कि..... गाँधी परिवार से इतनी दूरी क्यों????इस पर उन्होंने भी तपाक से बोल दिया कि वक़्त-वक़्त की बात है....मुझे मेरा जवाब मिल गया था......मेरे लिए बस इतना ही काफी था, इसके बाद और कुछ पूछा ही नहीं गया और किसी और ने क्या पूछा ये भी याद नहीं.....मीडिया के सवालों के जवाब सभी ने दिए...इसके बाद सब एक-एक करके हैलीकॉप्टर की ओर बढ़ गए....और धूल के गुबार के साथ पलक झपकते ही गायब हो गए.....एक नायब व्यक्तित्व के मालिक हैं बिग बी....उनके जैसा कोई न तो है और न ही हो सकता है।
मेरे जीवन का ये सबसे सुखद संस्मरण है...जिसे आप सब से बाँट कर जो अनुभूति मुझे मिल रही है उसका तो कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता।उसके बाद मैं और मुकुल दोनों देर रात बस का सफ़र करके बरेली पहुंचे....अगर हम अपने कुछ साथ लाये थे तो वो थी... बिग बी... की छवि और उस रैली का अविस्मर्णीय अनुभव .......
पूजा सिंह आदर्श

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