Saturday 19 November 2011

ऑनर किलिंग:इंसानियत पर धब्बा..


अभी हाल में ही मथुरा ऑनर किलिंग मामले में अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया,जिसमे आठ लोगों को फाँसी की सजा तथा सत्ताइस को उम्र कैद की सजा सुना दीये बात अलग है कि ये फैसला आते-आते २० साल लग गए। मेहराना के बहुचर्चित ऑनर किलिंग मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए इस जघन्य तिहरे हत्याकांड के लिए ८ दोषियों को फाँसी और २७ को उम्र कैद की सजा सुनाई। इन लोगो ने गाँव में हुई पंचायत में पंच की भूमिका निभाते हुए,स्वर्ण युवती और दलित प्रेमी सहित तीन लोगों को सरेआम फाँसी पर लटका दिया था और बाद में उनके शवों को शमशान ले जाकर जला दिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान १३ आरोपियों की मौत हो चुकी है। फाँसी की सज़ा पाने वालों में एक जिला स्तरीय अधिकारी भी शामिल है। देश के न्याय के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी जिला स्तरीय अधिकारी को फाँसी की सज़ा हुई हो।
ऑनर किलिंग या सम्मान के लिए हत्या,जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है और सभी वाकिफ हैं,बताने की जरुरत नहीं है लेकिन यहाँ एक बार फिर बताने की जरुरत महसूस हो रही है कि कैसे अपनी झूठी शान और ऊँची नाक के लिए लोग मासूम लोगों की जान ले लेते हैं। सम्मान हत्या वह हत्या है जिसमे किसी परिवार ,वंश या समुदाय के किसी सदस्य की (आमतौर पर एक महिला)की हत्या उसी परिवार,वंश या समुदाय का एक या एक से अधिक सदस्य (अधिकतर पुरुष)द्वारा की जाती है। और हत्यारे (आमतौर पर समुदाय के अधिकतर सदस्य )इस विश्वास के साथ इस हत्या को अंजाम देते हैं कि मरने वाले सदस्य के कृत्यों के कारण उस परिवार,वंश,या समुदाय का अपमान हुआ है। अपमान की यह धारणा सामान्यतः कई कारणों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है-
१-परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर अपनी मर्ज़ी से प्रेम-विवाह करना।
२-यदि विवाह अंतरजातीय हो अथवा एक ही गोत्र में किया गया हो(हिन्दुओं में)।
३-परिवार द्वारा नियत विवाह से इंकार करना।
४-समुदाय द्वारा निर्धारित वस्त्र संहिता का उल्लंघन कर कोई अन्य परिधान पहनना।
५-विवाह पुर्व या विवाहोपरांत किसी अन्य पुरुष या महिला के साथ यौन-सम्बन्ध स्थापित करना।
ये हत्याएं इस धारणा का परिणाम है कि कोई भी व्यक्ति जिसके किसी कृत्य के कारण यदि उसके कुल या समुदाय का अपमान होता है तो उस कुल के सम्मान की रक्षा के लिए उस व्यक्ति विशेष की हत्या जायज़ है।
संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या कोष(यू.एन.पी.ए)का अनुमान है कि दुनिया भर में सालाना ५००० के लगभग हत्याएं,सम्मान हत्याएं होतीं हैं। जिनमे से अकेले १००० हत्याएं भारत में होतीं हैं।जिसमे प.उत्तरप्रदेश,पंजाब ,हरियाणा,और महाराष्ट्र सबसे आगे है. आंकड़े चौकाने वाले जरूर हैं...कि दुनिया भर में होने वाली ५००० सम्मान हत्याओं में से १००० हत्याएं सिर्फ हमारे देश में होतीं हैं। एक बेहद गंभीर विषय जिस पर त्वरित कार्यवाही की और संजीदगी से सोचने की जरुरत है।
मानव अधिकार संस्था सम्मान हत्या को कुछ इस तरह परिभाषित करती है...."सम्मान की रक्षा के लिए किए गए अपराध ,हिंसा के वो मामले हैं,जिन्हें परिवार के पुरुष सदस्यों ने अपने ही परिवार की महिलाओं के खिलाफ इसलिए अंजाम दिया है क्योंकि उनके अनुसार उस महिला सदस्य के किसी कृत्य से समूचे परिवार की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुँचती है। इसका कारण कुछ भी हो सकता है,जैसे-अपनी मर्ज़ी से प्रेम-विवाह करना,परिवार के खिलाफ जाना,किसी यौन अपराध का शिकार बनना,पति से (प्रताड़ना देने वाले पति से भी)तलाक की मांग करना या फिर अवैध सम्बन्ध रखने का संदेह। केवल यह धारणा ही उस महिला सदस्य पर हमले को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त है कि उसके किसी कदम से परिवार की इज्ज़त को बट्टा लगा है। "
मानव अधिकार संस्था ने ऑनर किलिंग को सही परिभाषित किया है। समाज के ठेकेदार बनकर जो लोग बैठे हैं उन्हें तो यही लगता है कि जो उनकी दो कौड़ी की झूठी इज्ज़त को को बट्टा लगाये उसे मौत के घाट उतार दो। किसी की भी जिन्दगी छीनने का हक पता नहीं इन लोगों को किसने दिया???किसी से प्यार करना या अपनी मर्ज़ी से किसी को अपना जीवन साथी बनाना क्या वाकई इतना बड़ा गुनाह है ,जिसके लिए किसी को इतनी बेरहमी के साथ सज़ा-ए-मौत दे दी जाये। ........एक सवाल समूचे समाज के सामने ,जिससे न तो भागा जा सकता है और न ही मुंह मोड़ा जा सकता है????? क्योंकि ये वो नासूर बन चुका है जिसमे बदबूदार मवाद पनप गया है ,जब तक इसकी सफाई नहीं की जाएगी ये टीस देता रहेगा पूरे समाज को। और इसकी सफाई के लिए हमें हिम्मत और पहल दोनों करनी होगी। समाज ठेकेदारों को उसी भाषा में समझाना होगा जो उनके समझ में आती है। किसी को जिन्दगी दे नहीं सकते तो फिर किसी की जीती-जागती,हंसती-खेलती जिन्दगी को आग में जिन्दा जलाने या फिर सरेआम फाँसी पर लटका देने का हक इन ज़ालिम हुकुमरानों को किसने दिया ????? जिला अपर सत्र न्यायालय ने इसे जघन्यतम कृत्य माना है और यकीनन ये घिनौना कार्य है। न जाने कितने मासूम इस झूठी शान की भेंट चढ़ गए चाहे वो नितीश कटारा हो,चाहे आरुषि हो या फिर निरुपमा ये वो बहुचर्चित केस हैं जो कही न कही ऑनर किलिंग से जुड़े हैं और जिन्होंने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और आज भी ये अपनी मौत का इन्साफ मांग रहे हैं।
२० साल से चल रहे इस मामले में अब जाकर कही फैसला आया है. इतने वर्ष लग गए इसे आने में कि फैसला आने से पहले ही कुछ लोग स्वर्गवासी हो गए । तो कहीं न कहीं हमारी कानून व्यवस्था भी इस तरह के अपराधों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। गुनाह करने वाले जानते हैं कि पहली बात तो ये कि वो पकडे नहीं जायेंगे और अगर पकडे भी गये तो फिर लम्बी मुकदमेबाजी होगी जिसका अंजाम भी किसने देखा है। बहरहाल जो भी है ये फैसला यकीनन ऐतिहासिक है जुर्म करने वाले कम से कम एक बार सोचेंगे तो जरूर कि अगर ऐसा कुछ भी किया तो अंजाम यही होगा।
जियो और जीने दो पर यकीन करना पता नहीं कब सीखेंगे लोग....जिन्दगी ऊपरवाले की दी हुई नियामत है इसे किसी को भी छीनने का कोई हक नहीं है। प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं..इबादत है। इसके लिए मौत कि सज़ा क्यों ???
पूजा सिंह आदर्श