Monday 22 March 2010

जलवा बीसमबीस का........

इन् दिनों आईपीएल २०-२० का जलवा चारो तरफ दिखाई पड़ रहा है जिधर भी सुनो बस एक ही शोर सुनाई देता है.वास्तव में २०-२० ने क्रिकेट को एक नई दिशा तो दी है और इसमें भी कोई दोराई नहीं है कि इसने क्रिकेट को बेहद मनोरंजक और रोमांचकारी बना दिया है.आईपीएल देखने में उन लोगों को भी मजा आ रहा है जिन लोगों के पास समय की कमी है.बीसम्बीस के इस खेल ने क्रिकेट को नई बुलंदियों तक पहुंचा दिया है.ग्लैमर से भरपूर इस खेल में बच्चों,बूढों,युवाओं और महिलाओं तक को भी खूब आनंद आता है.क्रिकेट सितारों के आलावा फ़िल्मी सितारों की मौजूदगी अगर इस खेल को दिलचस्प बनाती है तो चीअरलीडर्स का भी जलवा कुछ कम नहीं है.इन सब ने मिलकर बीसमबीस के इस खेल का रुतबा ही बढ़ा दिया है.दो साल पहले शुरू हुए इस आईपीएल की लोकप्रियता में कहीं भी कोई कमी नहीं आई है बल्कि इसकी शोहरत हर साल बढ़ती ही जा रही है.इस बार ४ अरब डॉलर का कारोबार करना इस बात को साबित करता है की आईपीएल को लोग कितना पसंद करते है और इसकी लोकप्रियता में कमी आने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता बल्कि हर साल बढ़ता क्रेज साबित करता है की आईपीएल को लोग कितना पसंद करते हैं.

Wednesday 10 March 2010

आखिर संघर्ष काम आया .....मिल ही गई जीत

महिला विधेयक को राज्यसभा ने आख़िरकार हरी झंडी दिखा ही दी,इस स्वीकृति ने मानो पूरे राजनैतिक जगत में उथल-पुथल सी मचा दी हो पता नहीं कुछ लोगो को इससे न जाने क्या आपत्ति थी लेकिन कुछ भी हो इस बिल ने उन लोगो की पोल जरुर खोल दी जो महिलाओं के हितैषी होने का ढोंग करते रहे है.नारी पूजनीय है, वह देवी स्वरुप है,हम नारी का सम्मान करते हैं उन्हें बराबरी का दर्जा देना चाहते हैं ऐसे लोगों की तब हवा क्यों निकल गई जब ये प्रस्ताव पारित हो गया.इन लोगों ने इस बिल की राह में हमेशा रोड़ा अटकाया है क्योकि ये जानते है कि हिस्सा बाँट होना तो इनके में से ही है यदि महिलाओं को भी आरक्षण मिल गया तो उनके सशक्तिकरण में बढ़ावा होगा.ये बात समाज के कुछ ठेकेदारों को कैसे बर्दाश्त हो सकती है इसीलिए ये लोग इतना हल्ला मचा रहे थे .इन लोगों कि कथनी और करनी में अंतर साफ हो चुका है और बड़े नेताओं व दलों का पर्दाफाश हो चुका है अब ये लोग महिलाओं के हित कि बात करने का ढिंढोरा नै पीट सकते है .जब राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेता ही दोगले चरित्र के होंगे तो उनसे क्या उम्मीद कि जा सकती है .युपीए सरकार का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा ये तो तैय है .जब यह बिल पास हुआ तो शरद यादव जी ने कहा कि मार्शल के बल पर ये बिल पास करवा कर सरकार क्या साबित करना चाहती है ?अगर मार्शल के बल पर कुछ अच्छे काम या यूँ कहें कि देश का कुछ तो भला हो जाए तो मार्शल देश के हर कोने में तैनात होने चाहिए खासकर संसद में तो इनकी नितांत आवशयक्ता है जो लोग संसद कि गरिमा को ठेस पहुंचाते है कम से कम उन्हें तो बाहर का रास्ता दिखाया जा सके .बहरहाल अंत भला तो सब भला .महिलाओं ने हमेशा ही हर छेत्र में खुद को साबित किया है इस लड़ाई में भी फ़तेह तो मिलनी ही थी सो मिल गई अब बड़े लोग कुछ भी राग अलापते रहे कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है महिला आरक्षण बिल तो अब पास हो चुका है इससे बौखलाए लोगों के पास सिवाय हाथ मलने के आलावा दूसरा कोई चारा नहीं है .