
लेकिन ये क्यों हुआ ????क्या ये जानना जरूरी नहीं है ???बिल्कुल है ....माता-पिता अपने बच्चे को लाड में आकर बाइक का वो तोहफा दे देते हैं जो शायद उनकी मौत की वजह बन जाता है।माँ-बाप ने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा होता कि अपने बच्चे जो तोहफा वो लाकर दे रहे हैं वो उनसे उनका बच्चा ही छीन लेगा???आजकल बच्चा १६-१७ साल का हुआ नही कि उसे चलाने के लिए मोटरबाइक चाहिए। बाइक पर चलना फैशन के साथ-साथ एक स्टेटस सिम्बल बन गया है। लड़के सोचते हैं कि १०वी पास करते ही माँ-बाप उन्हें बाइक दिलवा दें,जिससे उनके दोस्तों के बीच उनका रुतबा और बढ़ जाये...बाइक लेने के साथ ही इन युवाओं का एक और शौक भी परवान चड़ता
है और वो है....मोटरबाइक के साथ खतरनाक करतब दिखाना यानि स्टंटबाज़ी करना। इस शौक का जुनून इस कदर है कि इन्हें अपनी जान तक की कोई परवाह नहीं होती।
इनदिनों बाज़ार में तरह-तरह की मोटरबाइक से पूरा बाज़ार पटा हुआ है......५० हज़ार रु तक से लेकर १५ लाख रु तक की बाइक बाज़ार में उपलब्द है । जिसमे पावर इंजन,पावर ब्रेक,हाई स्पीड और न जाने कितनी खूबियाँ हैं। जो लड़कों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।एक से एक बढिया और खूबसूरत बाइक बाज़ार में मौजूद है। जिसे देखते ही किसी भी बाइक शौक़ीन का दिल ललचा जाए। बाइक चलाने के शौक़ीन युवा ग्रुप बनाकर रात में सुनसान सड़कों पे रेस लगाने निकलते हैं। और यही सुनसान सड़के बनती है उनके स्टंट दिखाने की जगह। और कभी-कभी यही सड़के इनकी जान की दुश्मन बन जाती हैं और निगल जाती है कई मासूम जिन्दिगियाँ । अपने जरा से शौक और जुनून को पूरा करने के लिए लोग अपनी जिन्दगी तक की परवाह नहीं करते। यहाँ कहने का ये मतलब बिल्कुल भी नही है कि बाइक हमेशा ही खतरनाक होती है...हमारे देश में अगर दुपहिया वाहन की बात करे तो बाइक लोगो की पहली पसंद है ....लाखों लोग रोज़ बाइक पर सफ़र करते हैं...अगर सावधानीपूर्वक चलते हैं तो जान बच जाती है और सही सलामत घर पहुँच जाते हैं...और अगर जरा सी भी लापरवाही हुई तो सीधे अस्पताल या फिर शमशान ही पहुँचते हैं।सड़क दुर्घटनाओं की अगर बात करे तो रोज़ कई लोग इसमें अपनी जान गवां देते हैं। आंकड़े बताते हैं कि सड़क दुर्घटना में मरने वालो की संख्या दुपहिया वाहन वालो की ज्यादा होती है। क्योकि तेज़ स्पीड में अगर ब्रेक लगाये तो संतुलन बिगड़ना लाज़मी है।
अपने बच्चों को तो बाइक का चस्का बिल्कुल न लगने दें। उन्हें इतनी समझ होनी ही चाहिए कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। अपने बच्चे को,जिगर के टुकड़े को जिन्दगी दे न कि मौत का सामान। नहीं तो जिन्दगी भर का दुःख उठाना पड़ सकता है । जिसकी भरपाई नामुमकिन है। अगर कुछ बचता है तो वो है आँखों में पानी.....और कभी न भरने वाला जख्म....
पूजा सिंह आदर्श
सही है। इस तरह की सोच को सामने लाना चाहिए।
ReplyDeletethanx....Manoj ji..
ReplyDeletelovly post
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