लादेन मारा गया,आख़िरकार अमेरिका ने उसकी मौत पर अपनी मोहर लगा दी। जहाँ वो छिपा हुआ था मौत भी उसे वहीँ मिली। पाकिस्तान की सरजमीं जो उसकी पनाहगाह थी,उसकी कब्रगाह भी बनी।उसकी मौत के साथ आतंकवाद से जुड़ा एक अध्याय ख़त्म हो गया। लेकिन लादेन की मौत के बाद उठा सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उसकी मौत के बाद दुनिया महफूज़ हो गई है????क्या अब आतंकवाद,दहशतगर्दी से हमें छुटकारा मिल गया है???? तो इस सवाल का जवाब सुनने के लिए तैयार रहिये.....और जवाब है.. नहीं..हम आज भी महफूज़ नहीं हैं क्योंकि अभी जिन्दा है वो शख्स जिसे अल्बर्ट किंग ने दुनिया का सबसे खतरनाक शख्स कहा है। उसके सर पे भी दहशतगर्दी का इलज़ाम है। वो भी दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठनों में से एक लश्कर-ऐ -तएबा की सर परस्ती करता है, उसके सर पर भी हजारों का खून है। वो भी अमेरिका से मुहरबंद अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी है। लेकिन वो ओसामा बिन लादेन की तरह कहीं छिपकर नहीं रहता,उसकी तलाश में सैकड़ों सेटेलाइट और ड्रोन आसमान में नहीं मंडराते। वो करांची के शानदार महलनुमा घर में रहता है,आलिशान पार्टियों की मेजबानी करता है। उसकी दावत में न्योते के इंतजार में पाकिस्तान के तमाम जनरल और नेता रहते हैं। जी हाँ.....ये शख्स है... "दाउद इब्राहिम"। जो अपने जुर्म और दहशत के निजाम को एक कम्पनी की तरह चलाता है-डी-कम्पनी।
ओसामा बिन लादेन को पनाह देने वाला,तमाम आतंकवादी अभियानों का फाईनेंसेर ,परमाणु हथियारों का सौदागर,युवा पीढ़ी की नसों में नशे का ज़हर घोलने वाला। देश के गृह-मंत्री पी.चिदम्बरम यह कह सकतें हैं कि हम अमेरिका की तरह दाउद को निशाना नहीं बना सकते,उनकी कोई मजबूरी होगी लेकिन हिन्दुस्तानी आवाम की कोई मजबूरी नहीं है। लादेन के मारे जाने के बाद हर हिन्दुस्तानी के दिल से यही आवाज़ आ रही कि ...बस हमें दाउद ला दो जिन्दा या मुर्दा...... । १९९३ में मुंबई बम कांड में जो लोग इसकी दहशतगर्दी का शिकार हुए और उसके बाद २६ नवम्बर २००८ को मुंबई हमले में जो लोग मारे गए उनके घरवालों के दिलों से तो यही आवाज़ निकल रही है कि जो हाल लादेन का हुआ वही दाउद का भी होना चाहिए। आइये एक नज़र डालतें हैं उसके काले कारनामों पर-
१-१९९३ में मुंबई बम-कांड-२५७ लोग मारे गए।
२-१९९० में अफगानिस्तान गया,और लादेन से मिला।
३-अलकायदा के साथ गठजोड़ ,अमेरिका ने ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया।
४-२००८ में गैंग को लश्कर-ऐ-तैयबा से से जोड़ लिया।
५-अलकायदा के टेरर नेटवर्क को हवाला और हथियारों की सपोर्ट।
६-२००१ में गुजरात में आतंकी घटनाओ के लिए फंडिंग।
७-१९९३ के बाद मुंबई की हर आतंकी घटना में डी-कम्पनी का सहयोग।
८-लश्कर के नौसैनिक विंग की पूरी देखरेख दाउद के हाथ में तथा उसी ने २६/११ की घटना को अंजाम दिया।
ये तो है उसके काले कारनामों का चिठ्ठा जो कुछ उसने अब तक किया है जिससे उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया गया । इसके आलावा उसका मेन बिजनेस जिसके बल पर वो करता राज.... अकेले मुंबई में डी कम्पनी का अरबों डालर का टर्नओवर है। रिअल ऐस्टेट,हवाला,ड्रग्स,कांट्रेक्ट किलिंग,सट्टा,फ्लैश,ट्रेड में उसका एक छत्र राज चलता है। अफगानिस्तान से ड्रग्स का कच्चा माल दुनिया भर के माफिया तक पहुँचाने की सप्लाई चेन पर भी दाउद का कब्ज़ा है। अमेरिका और यूरोप में अरबों डालर की सम्पत्ति डी कम्पनी के पास है। इसके अलावा बॉलीवुड में भी डी कम्पनी का अच्छा -खासा दखल है। वो यहाँ पैसा लगाने के साथ-साथ नई रीलिज़ में हिस्सा भी लेता है.. यहाँ उसके टेरर हर कोई वाकिफ है। आई.एस.आई का वो खास आदमी है। इसकी मदद से ही वो देश में गुस सके। १९९३ में धमाकों के बाद दाउद आई.एस.आई की मदद से ही दुबई पहुंचा और उसके बाद करांची। तब से वो लगातार यहीं रह रहा है।
अब इतने खतरनाक इन्सान का इस तरह खुला घूमना क्या उन लोगों के साथ गद्दारी नहीं है... जो अपने ही देश में शहीद हुए,आतंकवाद का शिकार हुए। लादेन तो मारा गया अब दाउद क्या करना है या उसका क्या होगा ? ये देखने वाली बात है। वैसे ओसामा की मौत के बाद उसके साम्राज्य की नीव तो हिल गई होगी। अब वो भी जल्द ही पाकिस्तान से बाहर भागने की फिराक में होगा। पाकिस्तान तो हर जुर्म ,हर गुनाह की पनाहगाह है। पाप का घड़ा भर के छलक तो काफी समय से रहा है लेकिन अब इसके फूटने की नौबत आ गई है और इंशाल्लाह वो दिन दूर नहीं जब इन दरिंदो की पनाहगाह ही इनकी कब्रगाह बनेगी।
पूजा सिंह आदर्श
ओसामा बिन लादेन को पनाह देने वाला,तमाम आतंकवादी अभियानों का फाईनेंसेर ,परमाणु हथियारों का सौदागर,युवा पीढ़ी की नसों में नशे का ज़हर घोलने वाला। देश के गृह-मंत्री पी.चिदम्बरम यह कह सकतें हैं कि हम अमेरिका की तरह दाउद को निशाना नहीं बना सकते,उनकी कोई मजबूरी होगी लेकिन हिन्दुस्तानी आवाम की कोई मजबूरी नहीं है। लादेन के मारे जाने के बाद हर हिन्दुस्तानी के दिल से यही आवाज़ आ रही कि ...बस हमें दाउद ला दो जिन्दा या मुर्दा...... । १९९३ में मुंबई बम कांड में जो लोग इसकी दहशतगर्दी का शिकार हुए और उसके बाद २६ नवम्बर २००८ को मुंबई हमले में जो लोग मारे गए उनके घरवालों के दिलों से तो यही आवाज़ निकल रही है कि जो हाल लादेन का हुआ वही दाउद का भी होना चाहिए। आइये एक नज़र डालतें हैं उसके काले कारनामों पर-
१-१९९३ में मुंबई बम-कांड-२५७ लोग मारे गए।
२-१९९० में अफगानिस्तान गया,और लादेन से मिला।
३-अलकायदा के साथ गठजोड़ ,अमेरिका ने ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया।
४-२००८ में गैंग को लश्कर-ऐ-तैयबा से से जोड़ लिया।
५-अलकायदा के टेरर नेटवर्क को हवाला और हथियारों की सपोर्ट।
६-२००१ में गुजरात में आतंकी घटनाओ के लिए फंडिंग।
७-१९९३ के बाद मुंबई की हर आतंकी घटना में डी-कम्पनी का सहयोग।
८-लश्कर के नौसैनिक विंग की पूरी देखरेख दाउद के हाथ में तथा उसी ने २६/११ की घटना को अंजाम दिया।
ये तो है उसके काले कारनामों का चिठ्ठा जो कुछ उसने अब तक किया है जिससे उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित किया गया । इसके आलावा उसका मेन बिजनेस जिसके बल पर वो करता राज.... अकेले मुंबई में डी कम्पनी का अरबों डालर का टर्नओवर है। रिअल ऐस्टेट,हवाला,ड्रग्स,कांट्रेक्ट किलिंग,सट्टा,फ्लैश,ट्रेड में उसका एक छत्र राज चलता है। अफगानिस्तान से ड्रग्स का कच्चा माल दुनिया भर के माफिया तक पहुँचाने की सप्लाई चेन पर भी दाउद का कब्ज़ा है। अमेरिका और यूरोप में अरबों डालर की सम्पत्ति डी कम्पनी के पास है। इसके अलावा बॉलीवुड में भी डी कम्पनी का अच्छा -खासा दखल है। वो यहाँ पैसा लगाने के साथ-साथ नई रीलिज़ में हिस्सा भी लेता है.. यहाँ उसके टेरर हर कोई वाकिफ है। आई.एस.आई का वो खास आदमी है। इसकी मदद से ही वो देश में गुस सके। १९९३ में धमाकों के बाद दाउद आई.एस.आई की मदद से ही दुबई पहुंचा और उसके बाद करांची। तब से वो लगातार यहीं रह रहा है।
अब इतने खतरनाक इन्सान का इस तरह खुला घूमना क्या उन लोगों के साथ गद्दारी नहीं है... जो अपने ही देश में शहीद हुए,आतंकवाद का शिकार हुए। लादेन तो मारा गया अब दाउद क्या करना है या उसका क्या होगा ? ये देखने वाली बात है। वैसे ओसामा की मौत के बाद उसके साम्राज्य की नीव तो हिल गई होगी। अब वो भी जल्द ही पाकिस्तान से बाहर भागने की फिराक में होगा। पाकिस्तान तो हर जुर्म ,हर गुनाह की पनाहगाह है। पाप का घड़ा भर के छलक तो काफी समय से रहा है लेकिन अब इसके फूटने की नौबत आ गई है और इंशाल्लाह वो दिन दूर नहीं जब इन दरिंदो की पनाहगाह ही इनकी कब्रगाह बनेगी।
पूजा सिंह आदर्श
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