Thursday 15 December 2011

एफडीआई /वॉल मार्ट आखिर माज़रा क्या है...????


भारतीय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले महंगाई -भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा काला धन कुछ ऐसे मुद्दे थे जिन पर संसद में शोर-शराबा होना तय माना जा रहा था लेकिन हुआ यह कि सरकार ने एफ.डी.आई या आम आदमी की भाषा में वॉल मार्ट कहा जा रहा है का नया शगूफा छोड़कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है
अब स्तिथि यह है कि जन साधारण की समझ में यह नहीं रहा कि अपनाया जाये या ठुकराया जायेअसल मुद्दे पर आने से पहले इस देश की राजनीति की कुछ विशेषताओं का उल्लेख करना जरूरी है। सांसदों के वेतन और भत्तों को बढ़ाने का प्रस्ताव हो तो संसद में अदभुत एकता का मंज़र दिखाई पड़ता है लेकिन सरकार..द्वारा प्रस्तुत किसी भी प्रस्ताव या सुझाव का आँख बंद करके विरोध करना विपक्षी अपना राजनैतिक धर्म मानते हैं।
एफ.डी आई या वॉल मार्ट के मुद्दे पर भी ऐसा ही कुछ हुआ है। एफ डी आई के मुद्दे को अचानक उछालने के पीछे सरकार की क्या नीयत या मजबूरी थी यह अभी स्पष्ट नहीं थी !लेकिन इतना तो साफ़ नज़र आ रहा है कि सत्ता पक्ष के लोग जी जान से किसानो और उपभोक्ताओं को यह समझाने में जुटें हैं कि एफ डी आई से किसानो को उन के उत्पाद का अच्छा दाम मिलेगा और उपभोक्ता को सस्ते दामों पर अच्छा सामान मिलेगा क्योकि इस कारोबार में बिचौलिए नहीं होंगे। लेकिन हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को देखते हुए इस सिक्के का दूसरा पहलू भी है...
हम सभी जानतें हैं कि इस देश की ७०% जनता गाँव में बसती है जिसका मुख्य व्यवसाय खेती है। इस ७०% में से ६०% छोटे वर्ग के किसान हैं जिनके पास ट्रैक्टर या थ्रेशर जैसे कृषि के आधुनिक यन्त्र नहीं हैं। देश के बहुत सारे भूभाग की खेती वर्षा पर निर्भर है जहाँ मोटे अनाज ही उगाये जा सकतें हैं । इन हालात में कितने प्रतिशत किसान लाभान्वित होंगे इसका सर्वेक्षण कराया जाना आवश्यक है।
वॉल मार्ट किसी भी किसान से आँख बंद करके उसका उत्पाद नहीं खरीदेगा। उत्पादों की खरीद के मानक तैयार किए जायेंगे और जो उत्पाद उन मानकों पर खरे उतरेंगे केवल उन्ही की खरीद होगी,बाकी उत्पाद तो वही पुरानी मंडियों में बिचौलियों के माध्यम से बिकेगा। अतः एक आम किसान को कितना फायदा होगा इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है।
अब बात करतें हैं खुदरा व्यापारियों की,उनका कहना है कि वॉल मार्ट के आने से उनके कारोबार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है क्योकि उनके ग्राहकों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं और हर क्वालिटी का सामान बिकता है और ७०% से ८०% तक ग्राहक उधार सामान खरीदतें हैं इसलिए ग्राहकों का एक बड़ा और खास वर्ग हर हाल में हमारे पास ही आयेगा ,वॉल मार्ट में हमारे जैसी सुविधाएँ नहीं होंगी। इन बातों में भी दम है । कुछ उच्च वर्ग के लोगों की इच्छा है कि बढ़िया क्वालिटी का सामान....विशेषकर ब्रांडेड कपडे,जूते,परफ्यूम आदि हमारे देश में भी उपलब्ध हो जाएँ तो विदेशों में रहने वाले मित्रों या रिश्तेदारों को कष्ट देने की जरुरत न पड़े।
मेरे हिसाब से एफ डी आई के कारण न तो देशवासियों को कोई विशेष लाभ होगा और न कोई नुकसान होगा। कुछ गिने-चुने बिचौलियों के मुनाफे में कमी जरूर आ सकती है। इस मसले पर खुली बहस होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाये तो वही देश हित में होगा।
पूजा सिंह आदर्श